तालिबान : Taalibaan
■ तालिबान कट्टर धार्मिक विचारों से प्रेरित कबाइली लड़ाकों का एक संगठन है। इसके अधिकांश लड़ाके और कमांडर पाकिस्तान-अफगानिस्तान के सीमा इलाकों में स्थित कट्टर धार्मिक संगठनों में पढ़े लोग, मौलवी और कबाइली गुटों के चीफ हैं। घोषित रूप में इनका एक ही मकसद है। पश्चिमी देशों का शासन से प्रभाव खत्म करना और देश में इस्लामी शरिया कानून की स्थापना करना।
■ तालिबान जिसे तालेबान के नाम से भी जाना जाता है। वास्तव में एक सुन्नी इस्लामिक आधारवादी आंदोलन है जिसकी शुरुआत 1990 के दशक में हुई थी। पश्तून में तालिबान का मतलब 'छात्र' होता है, एक तरह से यह उनकी शुरुआत मदरसों से जाहिर करता है। उत्तरी पाकिस्तान में सुन्नी इस्लाम का कट्टरपंथी रूप सिखाने वाले एक मदरसे में तालिबान के जन्म हुआ।
■ शीतयुद्ध के दौर में तत्कालीन सोवियत संघ (USSR) को अफगानिस्तान से खदेड़ने के लिए अमेरिका ने अफगानिस्तान के स्थानीय मुजाहिदीनों (शाब्दिक अर्थ - विधर्मियों से लड़ने वाले योद्धा) को हथियार और ट्रेनिंग देकर जंग के लिए उकसाया था। नतीजन, सोवियत संघ तो हार मानकर चला गया, लेकिन अफगानिस्तान में एक कट्टरपंथी आतंकी संगठन का जन्म हो हो गया।
■ 1990 के उन शरुआती सालों में तालिबान मजबूत हुआ। वर्ष 1996 में तालिबान ने अफगानिस्तान के अधिकतर क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। शुरुआत में लोग उन्हें बाकी मुजाहिदीनों के मुकाबले इसलिए ज्यादा पसंद करते थे क्योंकि तालिबान का वादा था कि भ्रष्टाचार और अराजकता खत्म कर देंगे। मगर तालिबान के हिंसक रवैये और इस्लामिक कानून वाली क्रूर सजाओं ने जनता में आतंक फैला दिया।
■ संगीत, टीवी और सिनेमा पर रोक लगा दी गई। पुरुषों को दाढ़ी रखना जरूरी हो गया था, महिलाएं बिना सिर से पैर तक खुद को ढके बाहर नहीं निकल सकती थीं, बालिकाओं की शिक्षा बंद करा दी गयी। तालिबान ने 1995 में हेरात और 1996 में काबुल पर कब्जा कर लिया था। 1998 आते-आते लगभग पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान की हुकूमत हो चुकी थी।
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