Posts

तालिबान : Taalibaan

■ तालिबान कट्टर धार्मिक विचारों से प्रेरित कबाइली लड़ाकों का एक संगठन है। इसके अधिकांश लड़ाके और कमांडर पाकिस्तान-अफगानिस्तान के सीमा इलाकों में स्थित कट्टर धार्मिक संगठनों में पढ़े लोग, मौलवी और कबाइली गुटों के चीफ हैं। घोषित रूप में इनका एक ही मकसद है। पश्चिमी देशों का शासन से प्रभाव खत्म करना और देश में इस्लामी शरिया कानून की स्थापना करना। ■ तालिबान जिसे तालेबान के नाम से भी जाना जाता है। वास्तव में एक सुन्नी इस्लामिक आधारवादी आंदोलन है जिसकी शुरुआत 1990 के दशक में हुई थी। पश्तून में तालिबान का मतलब 'छात्र' होता है, एक तरह से यह उनकी शुरुआत मदरसों से जाहिर करता है। उत्तरी पाकिस्तान में सुन्नी इस्लाम का कट्टरपंथी रूप सिखाने वाले एक मदरसे में तालिबान के जन्म हुआ। ■ शीतयुद्ध के दौर में तत्कालीन सोवियत संघ (USSR) को अफगानिस्तान से खदेड़ने के लिए अमेरिका ने अफगानिस्तान के स्थानीय मुजाहिदीनों (शाब्दिक अर्थ - विधर्मियों से लड़ने वाले योद्धा) को हथियार और ट्रेनिंग देकर जंग के लिए उकसाया था। नतीजन, सोवियत संघ तो हार मानकर चला गया, लेकिन अफगानिस्तान में एक कट्टरपंथी आतंकी संगठन का जन्म हो ...

मिशन चंद्रयान-2 : Mission Chandrayaan-2

चंद्रयान-2 मिशन एक अत्यधिक जटिल मिशन है, जो इसरो के पिछले मिशनों की तुलना में एक महत्वपूर्ण तकनीकी छलांग का प्रतिनिधित्व करता है। यह चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव की खोज के लक्ष्य के साथ एक ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर को एक साथ ले जाएगा। चंद्रयान-2 ऑर्बिटर बयालू और विक्रम लैंडर भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) के साथ संचार करने में सक्षम है। सटीक प्रक्षेपण और मिशन प्रबंधन ने नियोजित एक वर्ष के बजाय लगभग सात वर्षों का एक मिशन जीवन सुनिश्चित किया है। चंद्रयान-2 के लैंडर का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है। यह एक चंद्र दिवस के लिए कार्य करने के लिए डिज़ाइन किया गया था, जो पृथ्वी के लगभग 14 दिनों के बराबर है। चंद्रयान-2 का रोवर प्रज्ञान नाम का है, जो एक 6-पहिए वाला रोबोट वाहन होगा। Sudhanshu Mishra

एसिड से समुद्री जीवों का अस्तित्व खतरे में : Acid Threatens The Existence Of Marine Organisms

हमारी पृथ्वी का बड़ा भाग समुद्र से घिरा हुआ है। जिसमें नाना प्रकार की प्रजातियाँ निवास करती हैं। यदि इन जीवों पर खतरा आया, तो हमारा अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा। सारे समुद्रों में एसिड का स्तर अभूतपूर्व गति से बढ़ रहा है और संभव है कि इस समय पिछले 30 करोड़ वर्षों में सबसे अधिक हो। वैज्ञानिकों का आकलन है कि एसिड के स्तर के बढ़ने की यह प्रक्रिया वर्ष 2100 तक 120 प्रतिशत तक हो सकती है।         उनका मानना है कि इन परिस्थितियों में 30 प्रतिशत समुद्री प्रजातियों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुँचे हैं कि इसके लिए मनुष्यों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। वर्ष 2100 में जिस तरह एसिड का स्तर बढ़ने की संभावना है, उसमें कोई भी मोलस्का जिंदा नहीं रह सकता। यह निश्चित रूप से बेहद चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। इस मुद्दे पर दुनिया के 500 से ज्यादा जाने-माने विशेषज्ञ कैलिफोर्निया में जुटे थे।         इंटरनेशनल बायोस्फेयर-जीयोस्फेयर कार्यक्रम की अगुआई में हुए अध्ययन की रिपोर्ट प्रकाशित कर दी गई है। इसमें कहा गया ...

अलाउद्दीन खिलजी : प्रशासनिक एवं आर्थिक दृष्टि Alauddin khilji : Administrative And Economic Vision

■ अलाउद्दीन खिलजी एक दूरदर्शी राजनीतिज्ञ, व्यवहारिक राजनेता तथा महान प्रशासक था। उसने अपने शासन के पूर्व प्रचलित शासन व्यवस्था का बारीकी से मूल्यांकन किया और इसमें व्यापक सुधार किए। अलाउद्दीन का विश्वास था कि राजस्व का विकास पूर्णनिष्ठा के बिना संभव नहीं है, परंतु उसके राज्य में विद्रोह की समस्या बनी हुई थी। इस समस्या पर काबू पाने के लिए अलाउद्दीन ने विद्रोह संबंधी कारणों को जानने और विद्रोहों का समाधान करने का प्रयास किया। ■ उसके समय विद्रोह के चार कारण थे- 1- प्रजा के बीच एक धनी और उदण्ड वर्ग मौजूद था, जो बराबर सुल्तान की सत्ता को चुनौती देता था, इस वर्ग के रूप में अलाउद्दीन ने मध्यस्थ भूमिपतियों को दोषी ठहराया। 2- सामंत वर्ग में शक्तिशाली परिवारों के बीच वैवाहिक संबंध आदि से उनकी शक्ति में वृद्धि होती थी और वे सुल्तान को चुनौती देने के के लिए प्रेरित होते थे। 3- सुल्तान को अपने राज्य में घटित होने वाली सूचनाओं की पूरी जानकारी नहीं रहती थी, अतः षड्यंत्र और विद्रोह होते रहते थे। 4- राजधानी में त्योहारों एवं उत्सवों के अवसर पर मदिरापान होता था, जिससे षड्यंत्रकारी द्वारा लोगों को बहक...

"खुर्दा संग्राम - एक केस स्टडी" या पाइक विद्रोह : khurda Uprising - A Case Study Or Paika Rebellion

■ 1857 की एक घटना से बहुत पहले, उसी प्रकार की एक घटना सन 1817 में खुर्दा नामक स्थान पर घटित हुई थी। इस घटना के अध्ययन से यह पता चलता है कि कैसे अंग्रेजों की औपनिवेशिक नीतियों के खिलाफ 19वीं सदी की शुरुआत से ही देश के विभिन्न हिस्सों में असंतोष निर्मित होने लगा था। ■ खुर्दा, जो कि ओडिसा के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित एक छोटा सा राज्य था, वह 19वीं शताब्दी की शुरुआत में 105 गढ़ों, जिनमें 60 बड़े और 1109 छोटे गांव सम्मिलित थे। यह एक जनबहुल उपजाऊ क्षेत्र था। इसके शासक, राजा बीरकिशोर देव को स्व अधिकृत चार परगनाओं को तथा जगन्नाथ मंदिर के संचालन अधिकार समेत 14 गढ़जातों के प्रशासनिक उत्तरदायित्व को पूर्व में दबाव में आकर मराठाओं को सौंप देना पड़ा था। उनके पुत्र तथा उत्तराधिकारी, मुकुंद देव द्वितीय इस दुर्दशा से विचलित थे। अतः अंग्रेजों और मराठों के बीच जारी संघर्ष में अपने लिए एक मौका देखते हुए उन्होंने अपने खोए हुए क्षेत्रों तथा जगन्नाथ मंदिर की देखरेख से संबंधित अधिकारों की पुनः प्राप्ति हेतु अंग्रेजों के साथ सलाह मशवरा शुरू कर दिया था। परंतु 1803 में ओडिसा को अपने कब्जे में लेने के बाद अंग्रेजों...

छत्रपति शिवाजी महाराज : Chhatrapati Shivaji Maharaj

6 जून 2021 को मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक दिवस की वर्षगाँठ के अवसर पर गोवा सरकार ने एक लघु फ़िल्म जारी की है। छत्रपति शिवाजी महाराज के विषय में ■ शिवाजी का जन्म 19 फरवरी, 1630 को वर्तमान महाराष्ट्र राज्य में पुणे जिले के शिवनेरी किले में हुआ था। ■ शिवजी का जन्म एक मराठा सेनापति शाहजी भोंसले के घर हुआ था। जिन्होंने बीजापुर सल्तनत के तहत पुणे एवं सुपे की जागीरें प्राप्त की थीं।  ■ शिवजी के जीवन पर उनकी माता जीजाबाई के धार्मिक गुणों का गहरा प्रभाव था। माता जीजाबाई एक धर्मपरायण महिला थीं। प्रारंभिक जीवन ■ वर्ष 1645 में किशोरावस्था में पहली बार शिवाजी ने अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया जिसके परिणामस्वरूप बीजापुर के अधीन तोरण किले पर सफलतापूर्वक नियंत्रण प्राप्त कर लिया था। ■ इन्होंने कोंढाना किले पर भी अधिकार किया। ये दोनों किले (तोरण और कोंढाना) बीजापुर के आदिल शाह के अधीन थे। महत्वपूर्ण युद्ध ■ प्रतापगढ़ का युद्ध, 1659: यह युद्ध मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज और आदिलशाही सेनापति अफजल खान की सेनाओं के बीच महाराष्ट्र के सतारा शहर के पास प्रतापगढ़ के किले में लड़ा गय...

अरब में इस्लाम धर्म की स्थापना और कुरान का एक अंश

■ मरुभूमि होते हुए भी सदियों से अरब, यातायात का एक बड़ा केंद्र था। दरअसल, अरब व्यापारी तथा नाविकों ने भारत और यूरोप के बीच समुद्री व्यापार बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अरब में रहने वाले अन्य लोगों में बेदुइन थे, जो घुमक्कड़ कबीले होते थे। ये मुख्य रूप से ऊँटों पर आश्रित होते थे। क्योंकि यह एक ऐसा मजबूत जानवर है, जो मरुभूमि में भी स्वस्थ रह सकता है। ■ लगभग 1400 साल पहले पैगम्बर मुहम्मद ने अरब में इस्लाम नामक एक नए धर्म की शुरुआत की। ईसाई धर्म की तरह इस्लाम ने भी अल्लाह को सर्वोपरि माना है, उनके बाद सभी को समान माना गया है। यहाँ इस्लाम धर्म के पवित्र ग्रंथ कुरान का एक अंश दिया गया है:       " मुसलमान स्त्रियों और पुरुषों के लिए, विश्वास रखने वाले स्त्रियों और पुरुषों के लिए, भक्त स्त्रियों और पुरुषों के लिए, सच्चे स्त्रियों और पुरुषों के लिए, धैर्यवान और स्थिर मन के स्त्रियों और पुरुषों के लिए, दान देने वाले स्त्रियों और पुरुषों के लिए, उपवास रखने वाले स्त्रियों और पुरुषों के लिए, अपनी पवित्रता बनाए रखने वाले स्त्रियों और पुरुषों के लिए, अल्लाह को हमेशा याद क...

Popular posts from this blog

"खुर्दा संग्राम - एक केस स्टडी" या पाइक विद्रोह : khurda Uprising - A Case Study Or Paika Rebellion

NCERT History Class-6 Chapter-1 क्या, कब, कहाँ और कैसे? Summary

NCERT History Class-6 Chapter-5 क्या बताती हैं हमें किताबें और कब्रें। Summary

NCERT History Class-6 Chapter-2 आरंभिक मानव की खोज में। Summary

NCERT History Class-6 Chapter-3 भोजन: संग्रह से उत्पादन तक। Summary